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विशाल हाथी और पतली रस्सी (Short Motivational Stories in Hindi)

 

विशाल हाथी और पतली रस्सी (Short Motivational Stories in Hindi)

एक बार की बात है। एक आदमी किसी रास्ते से निकल रहा था। तब उसने एक विशाल हाथी को देखा, जो एक पतली सी रस्सी और पतली सी खूंटी से बंधा हुआ था।

ये देखकर व्यक्ति को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कि ये हाथी इतना विशाल होने के बावजूद भी इस पतली रस्सी को नहीं तोड़ सकता है और इससे बंधा हुआ है।

तभी वहां पर हाथी का मालिक आ जाता है। वह व्यक्ति हाथी के मालिक से पूछता है “ये हाथी इतना विशाल और शक्तिशाली है” फिर भी ये इतनी कमजोर और पतली रस्सी से बंधा हुआ है। इसे तोड़ने की कोशिश भी नहीं कर रहा है।

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मालिक ने कहा कि जब ये हाथी छोटा था तब से मैं इसे इसी जगह और इसी रस्सी से बांध रहा हूं। जब ये छोटा था तो उसने बहुत बार इस रस्सी को तोड़ने और इस खूंटे को उखाड़ने की कोशिश की थी। लेकिन ये इसे तोड़ने में सफ़ल नहीं हो सका था। क्योंकि जब ये छोटा था और ये काम नहीं कर सका था। तब उसके मन में ये विश्वास हो गया कि ये रस्सी बहुत मजबूत है और ये इसे नहीं तोड़ सकता।

अब इसके मन में रस्सी मजबूत है, ये बात बैठ गई है और इसने रस्सी और खूंटी को तोड़ने की कोशिश करनी भी छोड़ दी है।

आज ये हाथी इतना विशाल और शक्तिशाली है, चाहे जिसे तोड़ सकता है। लेकिन इसके मन में ये विश्वास हो गया है कि ये इस रस्सी को नहीं तोड़ सकता। इसलिए ये इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश भी नहीं करता। इस कारण ही ये विशाल हाथी इस पतली सी रस्सी से बंधा हुआ है।

हाथी की तरह हम भी अपने जीवन में किसी काम के नहीं होने का मन में विश्वास बना लेते हैं तो हम उस काम को करने की कोशिश भी नहीं करते हैं। जबकि दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है जो मनुष्य नहीं कर सकता है। कोई भी व्यक्ति कोई भी काम कर सकता है।

जैसा कि हाथी के मन में विश्वास हो गया था कि ये नहीं कर सकता। इस कारण उसने कोशिश करनी भी छोड़ दी। हमें किसी काम को करने से पहले ही हार नहीं माननी चाहिए। उसे करने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।

ख़ुशी का राज (Story of Inspiration in Hindi)

True Motivational Story in Hindi: एक बार की बात है। एक गांव में एक महान ऋषि रहता था। उस गांव के लोग उस ऋषि का बहुत ही सम्मान करते थे। गांव के सभी लोग जब भी कोई समस्या में होते तो वे ऋषि उस समस्या का हल जरूर बताते। सभी गांव वाले उस ऋषि से बहुत प्रशन थे। हर बार कोई नई समस्या लेकर उस ऋषि के पास आते और महान ऋषि उस समस्या का हल बतात्ते।

एक बार एक व्यक्ति उस ऋषि के पास एक सवाल लेकर आया और ऋषि से पूछा कि गुरू जी मैं एक प्रशन पूछना चाहता हूं। तो ऋषि ने कहा पूछो तुम्हारा क्या प्रशन है। तो वह व्यक्ति कहता है “मैं खुश कैसे रह सकता हूं मेरी ख़ुशी का राज (Secret of Happiness) क्या है?” तभी ऋषि ने जवाब दिया कि इसका जवाब पाने के लिए तुम्हे मेरे साथ जंगल में चलना होगा।

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Inspiration Story Hindi

कुछ समय बाद वह व्यक्ति ख़ुशी का राज जानने के लिए ऋषि के साथ जंगल में जाने के लिए निकल लेता है और दोनों जंगल में जाते हैं। तभी रास्ते में एक बड़ा पत्थर आता है और ऋषि उस पत्थर को अपने साथ लेने के लिए उस व्यक्ति को कहते है। वह व्यक्ति ऋषि के आदेश को मानते हुए उस पत्थर को अपने हाथों में उठा लेता है।

कुछ समय बाद उस व्यक्ति को उस भरी पत्थर से हल्का दर्द होने लग जाता है। वह व्यक्ति इस दर्द को सहन कर लेता और चलता रहता है। काफी समय तक वह व्यक्ति उस दर्द को सहन कर लेता है। लेकिन जब उसे दर्द ज्यादा होने लगता है तो वह महान ऋषि से कहता है कि मुझे दर्द हो रहा है और मैं थक गया हूं।

तभी ऋषि कहते हैं कि इसे नीचे रख दो। वह व्यक्ति पत्थर को नीचे रखता है और उसे राहत मिलती है। फिर मुनि कहते हैं कि ये ही तुम्हारी ख़ुशी का राज है। वह व्यक्ति वापस पूछता है कि गुरू मैं कुछ समझा नहीं।

फिर ऋषि वापस उस व्यक्ति को जवाब देते हैं कि जिस तरह तुमने इस भारी पत्थर को 10 मिनिट के लिए उठाकर रखा तो तुम्हे थोड़ा दर्द हुआ। 20 मिनिट तक उठाया तो उससे ज्यादा और अधिक समय तक उठाकर रखा तो ज्यादा दर्द होने लगा। ठीक उसी प्रकार जितनी देर तक हम अपने पर दुखों का बोझ लिए फिरेंगे हमें ख़ुशी नहीं मिलेगी। निराशा ही मिलती रहेगी। हमारी ख़ुशी का राज सिर्फ इस पर निर्भर करता है कि हम कितनी देर तक दुखों का बोझ अपने ऊपर रखते हैं।

यदि तुम्हे अपने जीवन में खुश रहना है तो कभी अपने ऊपर दुःख को हावी होने मत दो। दुःख इस भारी पत्थर की तरह है जिसे हम जितना रखेंगे उतना ही हमें दर्द और कष्ट देता रहेगा।

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भगवान पर भरोसा – All is Well (Motivational Success Stories in Hindi)

Motivational Short Story in Hindi: क्या अपने कभी ये महसूस किया है कि आपके चारों ओर समस्याएं ही है और आप इनसे बच नहीं सकते और आपको हार माननी ही पड़ेगी। इस Motivational in Hindi Story में हम आपको ये ही बतायेंगे कि आपको ऐसी परिस्तिथि में क्या करना चाहिए।

एक बार की बात है। शाम का समय था। जंगल में काली घटाएं छाई हुई थी। काली घटाओं के कारण जंगल में बिजली गिर गई थी और जंगल में आग लग गई थी।उस जंगल में एक सुनहरे बालों की बहुत सुंदर हिरणी रहती थी। वह शाम को एक नदी किनारे पानी पीने के लिए आई। उस समय उसने नदी के अन्दर अपनी चिंता भरी परछाई देखी। उसके चेहरे पर चिंता दिख रही थी। क्योंकि जंगल की आग में उसका घर जल चुका था और उसे अपने बच्चों को जन्म देना था।

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Motivational Stories for Students in Hindi

वह हिरणी तीन महीने से प्रेग्नेंट थी और उसे प्रसूति का दर्द भी होने लगा था। तभी उस हिरणी ने सोचा कि वह अपने बच्चों को जन्म इस नदी के किनारे ही कहीं अच्छी जगह पर दे दें।

अचानक से हिरणी को नदी के किनारे झाड़ियों में से कुछ आहट सुनाई दी। तभी उसने अपनी तिरछी नजर से उस झाड़ियों की ओर देखा तो उसे एक परछाई दिखाई दी।

उस झाड़ियों में एक शिकारी शिकार करने के लिए अपनी बन्दुक में गोलियां भर रहा था। वह उस हिरणी का शिकार करने की सोच रहा था ।

हिरणी पहले से ही बहुत घबराई हुई थी और उस शिकारी को देखकर और घबरा गई। हिरणी ने मन ही मन में वहां से धीरे से भागने की सोची। जैसे ही वह भागने लगी तो उसने अपने सामने अपनी मौत को खड़े हुए देखा। उसके सामने एक खूंखार शेर खड़ा था। वह शेर भी उस हिरणी को अपना शिकार बनाने की सोच रहा था।

हिरनी ने चारों तरफ देखा जिसमें एक तरह वह शिकारी, दूसरी तरफ शेर, तीसरी तरफ जंगल की आग और चौथी तरफ वह नदी हिरणी चारों तरफ से घिर चुकी थी। उसने मन ही मन सोचा इस नदी को पार करना उसके बस की बात नहीं। पीछे जंगल की आग है। एक तरफ शिकारी उसका शिकार करेगा और एक तरफ शेर उसे अपना भोजन बनाएगा।

हिरणी ने बहुत सोचा अपनी जान बचाने के लिए। लेकिन कोई रास्ता नहीं मिला। फिर हिरणी ने मन ही मन सोचा कि मरना ही है तो डरना किस बात से। मौत चारों तरफ है। अब तो शान से मरेंगे। मानो उस हिरणी का दिमाग सटक गया था।

ऐसा सोच कर हिरणी सीना तानकर शिकारी के सामने खाड़ी हो गई और आंखें बंद करके भगवान से इस जीवन के लिए शुक्रिया करने लगी और जीवनदान मांगने लगी।

तभी शिकारी अपनी बन्दुक में गोलियां भर चुका था और वह बन्दुक को हिरणी की तरफ करके कंधे पर बन्दुक रख कर हिरणी को निशाना बना ही रहा था कि एक अजीब सी घटना वहां पर घटी।

जंगल की आग से एक चिंगरी उछली और वह चिंगारी शिकारी की आंख पर आ लगी, वह शिकारी अंधा हो गया। शिकारी का निशाना हिरणी की ओर से चुक गया और शेर की और घूम गया शेर वहीं पर घायल हो गया और वहीं गिर गया।

बिजली की गर्जना के साथ वहां पर बूंदों के रूप में बारिश होनी शुरू हो गई। बारिश होने से मौसम बहुत ही सुहावना हो गया और जंगल में लगी आग भी बारिश के कारण बंद हो गई। इस सुहावने मौसम में हिरणी ने तीन बच्चों को जन्म दिया।

इस Inspire Story Hindi से हमें अपने जीवन में ये सीख लेनी चाहिए कि हमें कभी अपने जीवन में परेशानियों से पीछे नहीं हटना चाहिए। समस्या तो हमारे जीवन में आएगी, इसका मुकाबला करना चाहिए न कि इससे डरना चाहिए। खुल कर समस्याओं का सामना करें और भगवान पर भरोसा करें। भगवान सबका भला ही करता है।


इन्सान की पहचान वाणी से होती है (Best Story for Kids in Hindi)

एक बार की बात है। एक राज्य का राजा था। उसे शिकार करने का बहुत ही शौक था। एक दिन वह राजा अपने सरदार और कुछ सैनिकों के साथ शिकार के लिए जंगल की ओर निकला। वह काफी दूर तक शिकार की खोज में चले गये।

ज्यादा दूर तक चलने से सभी को प्यास लगने लगी। सभी ने जंगल में पानी खोजना शुरू किया। फिर एक सैनिक को रास्ते पर एक कुआं दिखाई दिया। सैनिक ने राजा को यह बताया कि वहां पर एक कुआं है, जहां से हम अपनी प्यास को शांत कर सकते हैं।

राजा ने उस सैनिक को आदेश दिया कि वहां से उसके लिए पानी लाएं। सैनिक राजा के आदेश की पालना करते हुए उस कुएं के पास गया। वहां पर सैनिक ने देखा कि एक नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति रास्ते से जाने वाले लोगों की जलसेवा कर रहा है। सैनिक उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और बोला “ऐ पनिहारे एक लोटा पानी दे, हमें कहीं आगे जाना हैं।”

ये सुनकर उस वृद्ध व्यक्ति ने जवाब दिया “यहां से चला जा मुर्ख, मैं ऐसे लोगों को पानी नहीं पिलाता।” ये सुनकर सैनिक तुरंत वहां से चला गया। ये बात सैनिक ने राजा के सरदार को जाकर बताई। फिर सरदार उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और कहा “ऐ बूढ़े, हमें प्यास लगी है, एक लौटा पानी दे।” ये सुनकर उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति ने फिर पानी पिलाने से मना कर दिया।

राजा की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। राजा ने अपने सरदार से पानी के बारे में पूछा तो सरदार ने राजा से कहा कि उस कुएं पर एक नेत्रहीन व्यक्ति है जो पानी पीने से मना कर रहा है।

ये सुनकर राजा अपने सैनिक और सरदार के साथ उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास जाता है और उस वृद्ध व्यक्ति से कहता है “बाबा जी, हमें बहुत प्यास लगी है, गला सुखा जा रहा है। यदि आप थोड़ा पानी पिला देंगे तो आपकी बहुत बड़ी कृपा होगी।”

ये सुनकर उस नेत्रहीन व्यक्ति ने राजा से कहा “आप बैठिये, मैं आपको अभी जल पिलाता हूं।” फिर उस वृद्ध व्यक्ति ने सम्मानपूर्वक राजा को बैठाया और पानी पिलाया। पानी पीने के बाद राजा ने उस वृद्ध व्यक्ति से पूछा कि “आपको कैसे पता चला कि ये सैनिक व सरदार है और राजा मैं हूं”।

तो इसका जवाब उस वृद्ध व्यक्ति ने बहुत ही अच्छे शब्दों में दिया। वृद्ध व्यक्ति ने कहा “इन्सान की पहचान करने के लिए आंखों की जरूरत नहीं होती, उसकी वाणी ही उसकी असली पहचान होती है।”

ये सुनकर वहां पर मौजूद सरदार व उस सैनिक को शर्म महसूस हुई।

इस Motivational Story in Hindi से हमें ये प्रेरणा मिलती है कि जीवन में वाणी के से बढ़कर कुछ नहीं होता। यदि हमारे पास अच्छी वाणी और बोलने का तरीका होगा तो हम अपने जीवन में वो सब हासिल कर सकते हैं जो हम चाहते हैं।

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर की गई यह “बेस्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी (Short Motivational Story in Hindi)” पसंद आई होगी। आप इन मोटिवेशन कहानियों को आगे शेयर जरूर करें ताकि और लोगों को भी इन प्रेरणादायक कहानियों से जीवन में कुछ करने की प्रेरणा मिल सके।

Emotional Pyar ki Kahani: नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके सामने एक सच्चे प्यार की कहानी (sache pyar ki kahani) लेकर प्रस्तुत हुए है। यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है। इस दर्द भरी प्रेम कहानी (pyar ki dard bhari kahani) से आप प्रेम का मतलब बहुत ही करीब से महसूस कर पाएंगे। चलिए पढ़ते है दर्द भरी लव स्टोरी।

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दर्द भरी प्रेम कहानी | Emotional Pyar ki Kahani

इस कहानी की शुरुआत होती है दशहरे के दिन से। पूर्णिमा! अपनी दोस्त के घर रावण दहन देखने के लिए जाती है जहां उसकी मुलाकात उसकी दोस्त के चचेरे भाई हेमंत से होती है। दोनों एक दूसरे को जानते हैं और फिर दोनों की दोस्ती हो जाती है। हेमंत से ये मुलाक़ात पूर्णिमा के लिए कुछ नया लाई थी। अब तो हेमंत से पूर्णिमा का मिलना जुलना बढ़ गया और कुछ दिन बाद और देखते देखते वो दोनों अच्छे दोस्त बन गये।

हेमंत और पूर्णिमा की यह दोस्ती बहुत आगे बढ़ती गई और अब तो हेमंत को पूर्णिमा से प्यार हो गया था और उसने पूर्णिमा से अपने प्यार का इज़हार तक कर दिया हालांकि पूर्णिमा थोड़ा असहज हुई क्योंकि उसके जीवन के इस ख़ालीपन में ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी के वह इतने करीब आई थी और उसका प्यार का इज़हार उसके सामने करना यह सब नया था पूर्णिमा के लिए।पूर्णिमा ने तब तो कुछ नहीं कहा बाद में हमेशा हेमंत के बारे में सोचती और अपने मन में ख्वाबों को बुनती रहती। कई बार तो उसने यह बात हेमंत से भी साझा की और जो बात आगे बढ़ी तो पूर्णिमा के इस ख़ालीपन की जगह पर हेमंत का ऐसा असर हो गया था की अब तो पूर्णिमा को भी हेमंत से प्यार हो गया।

अब दोनों की प्यार परवान चढ़ने लगी थी और  दोनों के प्यार की ऊंचाई आसमान छूने लगी थी। बात लोगों तक पहुंच गई थी और बात इतनी बढ़ी कि ख़बर का दोनों के परिवार के दहलीज तक आ गई थी।

बात जब पूर्णिमा के परिवार तक पहुंची तो पूर्णिमा के परिवार वालों ने पूर्णिमा को काफी समझाया। परिवार की मान-मर्यादा, इज़्ज़त व ना जाने कितने-कितने ताने दिए। कई बार तो परिवार के लोगों ने पूर्णिमा के ना मानने पर उसे मारा तक। उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया पर कहते हैं ना प्यार के लिए यह बहुत छोटी सी चीज है और शायद इसीलिए पूर्णिमा का प्यार के सफर में उसका कदम का पीछे ना हटना इसकी गवाही देती है।

सामाजिक रूढ़िवादिता व परिवार के लाख कोशिश करने के बाद भी जब ये रिश्ता नाकाम होता नहीं दिख रहा था तो इन दोनों के पक्ष में एक दलीलें थी कि दोनों एक ही जाति व समाज से थे। जब दोनों के इस रिश्ते को नामंज़ूर करने की सारी कोशिशें नाकाम हो गई तो दोनों की सगाई करवा दी गई।

इसे पूर्ण रूप से दोनों के प्यार की जीत तो नहीं कह सकते। पर, हां! यह एक पड़ाव तो जरूर था शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना से छुटकारे का। ये एक पड़ाव तो जरूर था सामाज के लोगों से मिलने वाले ताने का और ये एक पड़ाव तो जरूर था उनके मिलने जुलने पर लगी हुई पाबंदी का।

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बहरहाल! दोनों अब एक ऐसे रिश्ते में बंध चुके थे, जहां वो अपने शादी के और आने वाले कल के जिसमें वो साथ होंगे के ख़्वाब संजो रहे थे। पर कहानी का यह सफ़र यहां पर ख़त्म नहीं होता! कहते हैं ना नियति जिंदगी के पड़ाव को कब आखरी पड़ाव बना दे यह कोई नहीं जानता।

कल गणगौर है। आज पूर्णिमा बहुत खुश थी कि कल गणगौर है और हेमंत उससे मिलने आने वाला है। बात थोड़ी सामान्य होने लगी थी और घर के लोग भी थोड़े बहुत खुश हैं पूर्णिमा खुद को संवारती है। बार-बार आईने में खुद को निहारती है। आज बहुत खुश है मानो चकोर को चांद से मिलने के सारे विघ्न खत्म हो गए हों, सारे इंतजार खत्म हो गए हों।

हालांकि अब तो इंतजार था कल का! पूर्णिमा के लिए ये पल मानो एक दिन का नहीं हजारों-हजारों वर्षों का था। वह प्रतीक्षा में एक-एक पल को बड़ी ही कठिनाइयों से बिता रही थी। लेकिन मन में मिलने की उत्कंठा व आशा थी पर आज वह बहुत खुश थी।

वहीं दूसरी ओर हेमंत पूर्णिमा से मिलने के लिए अपने वहां से निकलता है और दुर्भाग्यवश रास्ते में हेमंत के साथ एक दुर्घटना हो जाती है और उनकी मौत हो जाती है। इस बात से बेखबर पूर्णिमा उनके लिए प्रतीक्षारत हैं।

पूर्णिमा के परिवार वालों ने पूर्णिमा को यह बात नहीं बताई, इधर हेमंत अंतिम यात्रा पर चलने को तैयार है। उनका दाह संस्कार होने वाला है तो उधर दूसरी और इन सब से अनजान  पूर्णिमा, उनके इंतजार में व्याकुल है। उसका मन बैचेन है अपने हेमंत से मिलने के लिए।

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शायद! अंतिम यात्रा में वह हेमंत के साथ हो सकती थी क्योंकि हेमंत अब इस सफर से लौट बहुत दूर जा बैठे हैं। हेमंत का दाह संस्कार हो जाता है। किंतु पूर्णिमा अपने हेमंत के इस आखिरी सफर और उसके लिए आरंभ एक दर्दनाक सफर से अब भी अंजान, एक कभी ख़तम न होने वाले इंतजार में ही रहती हैं।

इधर हेमंत की मौत की ख़बर से अनजान जब पूर्णिमा को उसकी मौत की ख़बर मिलती है तो पहले तो वह इस बात को स्वीकार हीं नहीं कर पाती है। वो ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाती है। उसका मानसिक संतुलन इतना बिगड़ जाता है कि अब वह जोरों से चीखती है, चिल्लाती है और उसकी जुबान पर एक ही लफ्ज़ बार-बार आता हैं कि मेरा हेमंत कहीं नहीं गया।

“मेरे हेमंत! जिनके लिए कल मैं पूजा करने वाली हूं वो गणगौर के पूजा में शामिल होने जरूर आएंगे। उन्होंने मुझसे ना भूलने का वादा किया हुआ है इसीलिए हेमंत जरूर आएंगे। मेरे हेमंत जरूर आएंगे।”

कभी चीखती है, कभी जोर से चिल्लाती है तो कभी अचानक अपने आप को सन्नाटे में बदल देती है। फिर उस सन्नाटे को चीरती हुई अपने चीख पुकार से, हमेशा एक हीं बात दुहराती है कि मेरा हेमंत जरूर आएगा। मेरे हेमंत मुझे छोड़कर नहीं जाएंगे।

अब इस बात को हुए महीनों बीत गए हैं पर उसके जुबान में बस एक ही बात है मेरे हेमंत मुझे छोड़कर नहीं जा सकते, वह जरूर आएंगे।

इन सबके बीच, परिवार के लोग व समाज के अन्य लोग जो इसके प्यार को नाकाम करने में अपनी तमाम कोशिशें कर चुके थे। वह लोग जो कभी न जाने कितने ताने सुनाया करते थे तो कभी तानों की बरसात कर दिया करते थे। आज उनकी आंखों में भी आंसू थे पूर्णिमा के हालात देखकर।

आज वो लोग भी उनके प्यार की बात कर रहे थे जिन्होंने कभी उनके प्यार को नहीं समझा था और प्रार्थना कर रहे थे पूर्णिमा के जल्द ठीक होने की। उसकी ज़िन्दगी की खुशियों की दुआ मांग रहे थे।

क्या उनके आंखों में आंसू पश्चाताप के आंसू हैं? क्या इन समाज व परिवार के लोगों की हमदर्दी में उनकी सोच में परिवर्तन की कोई किरण झलक रही थी? क्या जो लोग कभी इन्हें ताने दिया करते थे, वो आज जो भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं इसके ठीक होने की। क्या ये उनकी ह्रदय की गहराइयों से की गई प्रार्थना थी?

बहरहाल कहानी में आपको आगे लिए चलते हैं। कहानी की उस पड़ाव पर हम पहुंच चुके हैं जहां पर पूर्णिमा के जिंदगी की शुरुआत होने से पहले ही खत्म होता दिख रहा था।

खैर, बहुत दिन गुजर गए थे अब पूर्णिमा ख़ामोशी के साथ रहने लगी थी। अपनी खामोशी में अपनी घुटन को छुपाए बैठी रहती थी, किसी से कुछ नहीं कहती। अपने जज्बातों को अपने सिरहाने में समेटे रहती, रात में उसकी सिसकने की  आवाज बस उसके कानों तक हीं जाती थी। किसी और का कंधा उसके रोने के लिए था भी तो नहीं।

इसी बीच परिवार की ओर से दलील दी जाने लगी कि अब कौन करेगा इससे शादी और यदि बेटी की शादी नहीं होगी तो समाज में लोगों के बीच क्या मुंह दिखाएंगे! यह सोचकर हेमंत के छोटे भाई से पूर्णिमा की फिर से सगाई करवा दी गई।

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ना चाहते हुए भी पूर्णिमा को फिर एक रिश्ते में बांध तो दिया गया पर वह महीनों तक, वर्षों तक जिंदा होकर भी मरती रही, सहती रही सारे ताने, सारी प्रताड़ना। अब वह जिंदा होकर भी मर चुकी थी, थक चुकी थी।

अपने ज़िंदगी के सफ़र में और अब वह इतना थक चुकी थी कि धीरे-धीरे अपने हालातों से समझौता करना सीख लिया था उसने और शायद इसीलिए अब तो खुश रहने लगी थी। परिवार के अन्य सदस्यों के सामने और लोगों के सामने अपने दुख को छुपाने की भरसक पूरी कोशिश करने लगी थी।

फिर शुरू हो गई इस समाज के अन्य लोगों की अपनी अपनी पूर्वाग्रह तथा दलीलें फिर से लांछन लगाना शुरू कर दिया गया और प्यार का मजाक बनाने का एक और नया हथकंडा मिल गया शायद उन्हें। अब उसकी खुशी पर न जाने कितनी बातें गढ़ने लगे कि देखो कितना खुश है मानो कुछ हुआ ही ना हो।

ध्यान रहे ये वही लोग हैं जो कुछ ही समय पूर्व पूर्णिमा के हालातों पर आंसू तक बहा रहे थे और भगवान से प्रार्थना की थी उसके जल्दी ठीक होने की। आज वही लोग इस पर चरित्र हीनता के आरोप मढ़ रहे थे।

इन सभी बातों ने उसके जीवन में पुनः वहीं सारी विपदाओं को ला खड़ा किया जो उसने पहले देखी थी। मानो उस के जीवन में दुखों का साया फिर से आ गया। उसके हंसते खेलने वाले जिंदगी में फिर से दुखों का बवंडर आ गया। अब वह फिर से टूटने लगी।

समाज ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया कि, इसने जो कुछ भी किया था वह नाटक था। वह सारा प्यार, वह सारा दुख तो दिखावा था वह तो महज़ एक छल था और पूर्णिमा से अब उसके ससुराल वालों ने फिर से सगाई तोड़ दी, ये कह कर कि हमारे एक बेटे की मौत की जिममेदार यहीं हैं, अब दूसरे को न मार दे। इसके कारण हमारे मान सम्मान, इज्ज़त को ठेस पहुंची है और साथ ही ठहरा दिया अपने ही बेटे के मौत का जिम्मेदार।

हम उसके दर्द की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं जिसने इस दर्द को जिया हैं। मैंने मात्र देखा है उसे ये ज़िन्दगी जीते हुए और मैं बहुत आहत हूं लोगों की, समाज की व परिवार की ऐसी मानसिकता को देखकर। और जिसने ये सब सहा है उसकी मनोदशा कोई नहीं समझ सकता। फिर क्यों लोग आ जाते हैं किसी की खुशियों को छीनने, क्यों लोगों को किसी की पल भर की खुशी नहीं देखी जाती! उसके दर्द को नहीं समझ सकते तो मत समझो उसे और दर्द तो ना दो!

क्यों किसी को फिर से जीने का हक नहीं, मुझे आज तक उस लड़की का गुनाह समझ नहीं आया कि क्या किसी से प्यार करना गुनाह है! क्या प्यार करने से वो चरित्रहीन हो जाती हैं! और क्या उसका गुनाह था कि उसका प्यार अधूरा रह गया! क्या उसका गुनाह ये था कि उसने फिर से जीना चाहा!

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प्यार के नाम पे लोग न जाने कितने भाषण देते हैं, ना जाने कितनी सारी उपमाऐं दी जाती है। कान्हा जी और राधा जी के प्रेम को लोग पूजते हैं, क्या वाकई में पूजते हैं! मैं नहीं मानता ऐसा की लोग मानते हैं भगवान के उस प्यार को!

अगर ऐसा होता तो आज हर समाज में प्यार करने वालो को अलग नहीं होना पड़ता, किसी को ये दर्द नहीं सहना पड़ता।

अगर लोगो के अनुसार ये गुनाह ही हैं तो क्यों पूजा करते हो राधा कृष्णा की प्रेम की मूरत की? क्यों उन्हें भी सजा नहीं देते प्रेम करने की, प्रेम करके अधूरा छोड़ देने के लिए!

एक ही उम्मीद करूंगा किसी को जीने नहीं दे सकते तो उसे मरने के लिए मजबूर तो न करो! किसी का दर्द नहीं समझ सकते तो और दर्द मत दो।

उम्मीद करता हूँ कि आपको यह दर्द भरी कहानी और सच्ची प्रेम कथा (sachi love story) पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरूर करें

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