सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

9 Motivational & success stories in hindi प्रेरक कहानी हिंदी short — HindiStory

 भरपेट खाना भी नहीं मिलता था, गरीबी ने भाई • की जान तक ले ली, फिर भी आईआईटी में पाया एडमिशन, बड़ी कंपनी में बना इंजीनियर- मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

success stories in hindi
success stories in hindi

बिहार के गया जिले के छोटे से गांव डावर में रहने वाले ईश्वरी खेतों में मजदूरी कर अपना पेट भरते थे। शादी हो गई, चार बच्चे हुए, लेकिन माली हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। मजदूरी से एक शाम भी भरपेट भोजन मिलना उनके परिवार के लिए बड़ी बात थी।

किसी साल सूखा पड़ जाए तो इसके लिए भी लाले पड़ जाते थे। तब ईश्वरी गांव से सब्जियां लेकर मीलों दूर गया पैदल आते। इसी से अपना और बच्चों का पेट भरते। अमित उनकी चार संतानों में सबसे बड़ा है।

अमित की मां किरण देवी खुद साक्षर भी नहीं थीं, लेकिन शिक्षा का महत्व समझती थी अमित जब थोड़ा बड़ा हुआ तो उन्होंने बिना किसी से पूछे ही उसे बगल के सरकारी स्कूल भेजना शुरू कर दिया।

उनके पास स्लेट खरीदने के भी पैसे नहीं थे। करीब एक साल तक स्लेट का टूटा हुआ टुकड़ा लेकर ही स्कूल गया था। उस टुकड़े पर ही वह दिनभर वर्णमाला लिखता रहता। जैसे-जैसे ऊंची कक्षा में पहुंचता गया, पढ़ाई में उसकी लगन बढ़ती गई। छोटे से घर में दिन में पढ़ाई करना मुश्किल होता था।

motivational success story in hindi

उसने देर रात तक पढ़ने की आदत बना ली। कई बार लालटेन में तेल खत्म हो जाता, यह निराश हो जाता। कमरे में सोई मां नींद में भी बेटे का दर्द समझ जाती। दिल कचोट उठता था। वह पानी का ग्लास लेकर अमित के पास आ जातीं।

बेटे को समझाती पुचकारती, और अगली रात वह फिर दोगुने उत्साह से पढ़ाई के लिए बैठता। उसके लिए किताब-कॉपी का जुगाड़ भी मुश्किल से होता था, पर अमित को इससे फर्क नहीं पड़ता था।

जिंदगी में संघर्ष की अहमियत तो उसने स्लेट के टुकड़े से वर्षों पहले ही सीख ली थी। गांव के स्कूल में दसवीं की पढ़ाई नहीं होती थी। इंश्वरी बेटे को लेकर गया चले आए। सरकारी स्कूल में उसका दाखिला करा दिया और खुद सब्जी बेचने लगे।

मां छोटे भाई-बहनों को लेकर गांव में थीं। अब वे सब भी स्कूल जाने लगे थे, लेकिन अमित के छोटे भाई से यह गरीबी बर्दाश्त नहीं होती थी। वह अक्सर दिल्ली जाकर कमाने की बात करता, जिससे परिवार को कुछ आमदनी हो सके।

हालांकि, उसकी उम्र अभी इतनी नहीं थी और इसी सोच ने उसे डिप्रेशन का शिकार बना दिया। बीमार हुआ और परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि उसका इलाज करा सकें। अमित के भाई की जान गरीबी की भेंट चढ़ गई।

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

अमित 10वीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहा था। घर में बूढ़ी दादी भी थीं। उनकी कमर टूटी थी, लेकिन इलाज कहां से होता। रात को अमित पढ़ता तो दर्द से कराहतीं। पढ़ाई छोड़ वह उनकी तीमारदारी में लग जाता।

सोचने लगता कि यह पढ़ाई जल्दी पूरी क्यों नहीं होती, जिससे वह बड़ा आदमी बन जाए और दादी का इलाज करा सके। किसी तरह उसने परीक्षा दी और अच्छे अंकों से पास हुआ। किसी ने सुपर 30 के बारे में बताया तो सीधे ही पिता के साथ मुझसे मिलने चला आया। वह संस्थान का सदस्य बन गया।

अमित अब उस पड़ाव पर था, जहां वह अपने सपनों को ऊंची उड़ान दे सकता था। वह दिन-रात पढ़ाई करता। कहता, आराम करता हूं तो मरे हुए भाई और कराहती दादी की तस्वीर सामने आ जाती है।

2014 में आईआईटी प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट के दिन वह मेरे साथ ही था। चिंतित, लेकिन आश्वस्त पिता ईश्वरी की भीगी आंखें इसके लिए मुझे धन्यवाद दे रही थीं। उन्हें अपने भाग्योदय की पहली झलक दिखने लगी थी। आज वह आईआईटी,

मंडी से पढ़ाई पूरी करके एक बहुत बड़ी कंपनी में काम कर रहा है। लेकिन इंजीनियर बनकर संतुष्ट नहीं रहना चाहता। अब वह आईएएस के लिए परीक्षा की तैयारी करेगा ताकि प्रशासनिक अधिकारी बन उस गरीबी का अंत करे जो उस जैसे करोड़ों युवाओं के भविष्य का रास्ता रोक लेती हैं।

  1. > motivational hindi stories
  2. > real life inspirational stories in hindi
  3. > Success stories in English

2. Hindi motivational stories

success stories in hindi
success stories in hindi

2nd success stories in hindi

सुपर-30 के आनंद कुमार के शब्दों में खेती से घर का खर्च ही मुश्किल से चल पाता था, बेटी एनआईटी से बनी इंजीनियर- real life inspirational stories in hindi

उत्तर प्रदेश के एटा जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले मणिकांत सिंह के पास खेती की थोड़ी सी ही जमीन थी। बहुत मेहनत करने के बावजूद खेती से इतनी ही आमदनी हो पाती थी कि दाल-रोटी का जुगाड़ हो सके लेकिन, मणिकांत सिंह के पास इतने पैसे नहीं थे कि अपने तीनों बच्चों का एडमिशन गांव के बगल में किसी छोटे से प्राइवेट स्कूल में करवा सके। बच्चों का पढ़ाई के प्रति प्रेम और समर्पण देखकर मणिकांत सिंह को लगने लगा था कि बच्चे उनके अधूरे सपनों में जरूर रंग भर देंगे।

तीनों बच्चों में मधु सिंह राजपूत सबसे बड़ी थी और पढ़ाई में भी बहुत ही होशियार धीरे-धीरे पूरे परिवार को यह यकीन हो गया कि मधु एक न एक दिन कुछ न कुछ बड़ा करके दिखाएगी।

जिससे परिवार के सभी सदस्यों को गर्व होगा। मधु को पढ़ते देखकर जिसे घर में सबसे ज्यादा खुशी होती थी वह थी मधु की मी ईशा सिंह जब घर का काम बहुत ज्यादा होने लगता था तब मधु प्रयास करती थी की मां की थोड़ी सहायता कर दे।

आश्चर्य की बात है की गांव में रहने के बावजूद मां ने कभी मधु को घर का काम करने नहीं दिया। वह हमेशा कहा करती थी कि बेटी तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। लड़की होने का यह मतलब नहीं है कि तुम घर में बंद रहो।

hindi stories with moral

तुम्हे पढ़ना है। मेहनत करना है और लोगों को दिखाना है कि अगर अवसर मिले तब लड़की भी बहुत कुछ कर सकती है। ईशा सिंह भी अपने समय में पढ़ने में बहुत होशियार थी लेकिन,

उस वक्त परिवार और समाज में लोग ऐसा मानते थे कि लड़कियों में उतनी काबलियत नहीं होती है जितनी कि लड़कों में वैसे भी लड़कियों को तो चुल्हा-चौका की करना चाहिए। ईशा सिंह को इस बात का मलाल था कि अवसर के अभाव में इच्छा रहने के बावजूद उनकी पढ़ाई नहीं हो सकी। इसलिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोक दी

और प्रण ले लिया कि चाहे जो भी हो जाए मधु को पढ़ाएंगे जरूर हमेशा मधु से पूछती रहती थी की बेटी कुछ खाने के लिए बना दूं क्या थक गई हो क्या। यह सब सुनकर मधु और ताकत लगा देती थी पढ़ाई में वह देर रात तक पढ़ती रहती थी और

मां उसे निहारती रहती वक्त बीतता चला गया और मधु बहुत अच्छे अंकों से दसवीं पास कर गई। मधु इंजीनियर बनना चाहती थी। आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा या दिल्ली जाना
चाहती थी लेकिन, पहले आर्थिक परेशानी और फिर लड़की को गांव से बाहर भेजने की बात। दोनों के चलते मधु की आगे की पढ़ाई में दिक्कत आने लगी थी। मधु की मां ने पूरा प्रयास किया पर कुछ हो न सका। अब तो बारहवीं की भी पढ़ाई भी पूरी हो गई। कोई रास्ता नहीं निकलता देखकर ईशा सिंह

अपना मानसिक संतुलन खो बैठीं। वह हमेशा बड़बड़ाती रहतीं थीं कि मुझे मधु को इंजीनियर बनाना है। गांव से बाहर भेजना है पढ़ाई के लिए। उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि डॉक्टर ने जवाब दे दिया और उन्हें इलाज के लिए आगरा ले जाना पड़ा।

पर इधर कुछ दिनों में मधु को सुपर 30 के बारे में पता चला। उसने मां को इसके बारे में बताया। मां धीरे-धीरे नॉर्मल होने लगी। एक दिन बोली बेटी मैं भी तेरे साथ चलूंगी पटना। मुझे आज भी याद है जब मां बेटी मुझसे मिलने आयीं थीं और मधु ने अपनी पूरी कहानी सुनाई थी।

मधु सुपर 30 में शामिल हो चुकी थी। सुपर 30 के साथ ही वह हमारे घर की सदस्य भी बन गई थी। आखिरकार मधु की मेहनत रंग लाई। उसका एडमिशन एनआईटी में हो गया। अब मधु की पढ़ाई पूरी हो चुकी है और उसे अच्छी नौकरी भी मिल गई है|

  1. > motivational hindi stories
  2. > real life inspirational stories in hindi
  3. > Success stories in English

3.moral stories in hindi

मां सिलाई कर घर का खर्च चलाती थी, बेटा आईआईटी दिल्ली से बना इंजीनियर- hindi stories read

समय रुकता ही नहीं है। बस चलता रहता है। और इस समय के साथ जीवन भी चलता रहता है। रास्ते में बहुत सारी रुकावटें और बाधाएं मिलती हैं। इन बाधाओं को मजबूती के साथ जो पार करता है वही विजेता बनता है। पिछले 18 साल के सुपर 30 के इतिहास में मैन भी बहुत उतार चढ़ाव देखे हैं। जहां मुझे बहुत प्यार और सम्मान मिला वहीं बहुत मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा लेकिन, मुझे अंत में खुशी मिली और उस खुशी का मुख्य कारण थे हमारे पास हर साल आने वाले 30 बच्चे आज तक सैकड़ों ऐसे बच्चे मेरी जिंदगी से गुजरे हैं जिन्होंने तमाम मुश्किलों के बावजूद अपना एक मुकाम हासिल किया है। सबसे बड़ी बात है कि ऐसे बच्चे मुझे कभी भूले नहीं। हमेशा मेरा हाल पूछते रहते हैं। यही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि है। हां, कुछ बच्चे ऐसे भी आए जिनमें कुछ समय के लिए भटकाव आ गया लेकिन बाद में वो भी मेरे पास आए और उनसे बहुत करीब के दिल के रिश्ते बने। आज ऐसे ही एक बच्चे की कहानी आपको बता रहा हूं।

• लगभग 13 साल पहले की बात है। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के नतीजे आए थे। सुपर 30 के परिसर में खुशियों का माहौल था। इस बार भी नतीजे बेहतर रहे थे 30 में से 28 विद्यार्थियों का चयन हुआ था। उस साल डिस्कवरी चैनल पूरे एक साल हम लोगों के साथ था। वे इसी बैच के आधार पर फिल्म बना रहे थे। प्रणव प्रिंस भी इनमें से एक था। वह बेहद निर्धन पारिवारिक पृष्ठभूमि से था। उसके पिता बेरोजगार थे

Inspirational Hindi Stories

और परिवार के भरणपोषण का जिम्मा मां पर था, जो सिलाई करके घर चलाती थीं। उसके सपने बड़े थे और वह इंजीनियर बनना चाहता था। एक साधारण सरकारी स्कूल से पढ़ाई हुई थी। बारहवीं बहुत ही अच्छे अंकों से पास किया था ट्यूशन और कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे। चूंकि वह पटना में ही रहता था, उसे सुपर 30 के बारे में जानकारी थी। इंट्रेंस टेस्ट दिया और सुपर 30 का हिस्सा बन गया। उसकी मेहनत और

प्रतिभा से सुपर 30 के सभी बच्चे बहुत ही प्रभावित थे। फिजिक्स ओलिम्पियाड में भी उसने बहुत अच्छा करके सभी को चौंका दिया था। आईआईटी जेईई के रिजल्ट के दिन तो उसने कमाल ही कर दिया। उसकी 162वीं रैंक आई थी। दाखिले के पहले सारे विद्यार्थी अपने घर लौट रहे थे। यह सिर्फ उनका ही सपना नहीं था। उनके माता-पिता भी बड़ी आस लगाए थे। अचानक कुछ ऐसा हुआ कि सुपर 30 के दरवाजे पर ताला लटक गया। सारी खुशियां मायूसी में बदल गई।

कोचिंग के कारोबारियों ने प्रणव को अपने जाल में फंसाया। उसे लालच देकर अपने विद्यार्थी के रूप में सम्मानित और प्रचारित कर दिया, जबकि वह पूरे समय उन तीस विद्यार्थियों के साथ ही पढ़ा, जो उस साल के सुपर 30 के बैच में शामिल थे। डिस्कवरी चैनल के एक साल की शूटिंग में वह पूरे साल दिख रहा था। प्रणव के कदम ने मेरे सपने को तोड़ दिया। गरीबी के गर्त में पड़े प्रतिभाशाली बच्चों को उनकी

काबिलियत के मुताबिक सही मंजिल तक पहुंचाने में हम सिर्फ निमित्त भर थे। मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि कोई ऐसा भी कर सकता है। भावुक मन से मैंने सुपर 30 को बंद करने का निर्णय लिया। इस पर बड़ी तीखी प्रतिक्रिया हुई। मीडिया ने सवाल पूछे। छात्र संगठनों ने प्रदर्शन तक किए और सुपर 30 फिर से शुरू करने का आग्रह किया। प्रणव को शायद इसकी उम्मीद नहीं रही होगी कि बात यहां तक बढ़ जाएगी। उसे

अपनी गलती का अहसास हुआ। वह आया। उसने रोते हुए कहा कि बंद करने का फैसला मत लीजिए वरना में आईआईटी में एडमिशन नहीं लूंगा। उसने सबके सामने सच स्वीकार किया। फिर सब कुछ अपनी रफ्तार पर आ गया। दिल्ली आईआईटी में उसका दाखिला हुआ। वह पढ़ते हुए जब भी पटना आता, सुपर 30 के अगले बैचों में पढ़ाना नहीं भूलता था। आज वह एक नामी कंपनी में दुबई में इंजीनियर है। मेरे पिता जी हमेशा मुझसे कहा करते थे। कर भला, हो भला

5. किसी भी काम में सफलता पाने के लिए शुरुआत से पहले रिसर्च करिए

मेरे पढ़ाए हुए बच्चों में या जो मुझसे नहीं भी पढ़े हैं, उनमें एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। यह ट्रेंड अच्छा है। आजकल देखा जा रहा है कि बच्चे आईआईटी करके, इंजीनियरिंग करके बिजनेस मैनेजमेंट करके कुछ दिन जॉब करने के बाद अपने अनुभव के आधार पर अपनी कंपनी खोल रहे हैं। स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं। यह ट्रेंड पूरी दुनिया में देखा जा रहा है।

छोटी-सी शुरुआत से उस ऊंचाई तक पहुंच रहे हैं, जहां के बारे में बड़े-बड़े बिजनेसमैन सोच भी नहीं सकते। कई उदाहरण हमारे सामने हैं, जिनमें होटल से लेकर ओला जैसी कंपनिया शामिल हैं।

लॉकडाउन के दौरान मुझसे बिहार के कुछ उत्साही नौजवान मिलने आए। उन्होंने बताया कि वे मखाना आधारित उद्योग खोलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आपने भी तो सुपर 30 की शुरुआत की थी, जो आज देश-विदेश में जाना जाता है। हमें बताइए कि हम कैसे सफल हो सकते हैं। मैंने उनसे कहा कि अगर आप नया प्रोडक्ट लाना चाहते हैं,

स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप देखें कि आप जो प्रोडक्ट लाना चाहते हैं, सर्विस देना चाहते हैं, वह कितना इफेक्टिव है। सबसे पहले आइडिया ही आता है, तो देखिए कि आपका आइडिया कितना व्यावहारिक है। फिर वर्तमान स्थिति को भी देखिए। यह कोविड काल है। लोगों की आमदनी कम हो गई है।

लोग कम खर्च करना चाहते हैं। तो शुरू करने से पहले पूरा रिसर्च करिए मार्केट में आपके प्रोडक्ट से मिलता-जुलता कोई प्रोडक्ट है, तो उसके बारे में पूरा रिसर्च करिए कि उसके ग्राहक उस प्रोडक्ट को क्यों पसंद करते हैं। अब सोचिए कि आपके प्रोडक्ट को लोग क्यों लेंगे। दूसरी बात यह है कि आप ऑनलाइन शुरू करना चाहते हैं

या ऑफलाइन या दोनों ही रखना चाहते हैं। आजकल लोग ऑनलाइन ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं। अमेजन की कामई हाल के महीनों में काफी बढ़ी है। वह भी देखना जरूरी होगा कि आपकी सर्विस ऑनलाइन में ज्यादा अच्छी रहेगी या ऑफलाइन।

मेरे यहां एक घी बनाने वाले हैं। शुद्ध घी देते हैं। उनका विजनेस ऑफलाइन में सफल है, क्योंकि उनका प्रोडकर ऐसा है कि लोग सूंघ कर देखते हैं, हाथ पर मलकर देखते हैं। तो अपने प्रोडक्ट के बारे में तय करें कि ऑनलाइन पर जोर होगा या ऑफलाइन पर। सबसे बड़ी बात है

आपके प्रोडक्ट का मापदंड। क्या आप अपने प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने के लिए अपने माता-पिता को प्रेरित करेंगे? अपने बच्चे को उपयोग के लिए देंगे ? आपका प्रोडक्ट आपकी पसंद हो, इसलिए नहीं कि यह आपका प्रोडक्ट है,

बल्कि यह सचमुच में बहुत अच्छा और अंतिम बात यह कि आपका प्रोडक्ट या सर्विस सहज हो। आप कोई एप बनाते हैं, उसे सिंपल होना चाहिए। मोबाइल पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया क्योंकि यह उपयोगी होने के साथ ही सहज है।

इसे छोटा बच्चा भी ऑपरेट कर सकता है। मैं जब मैथ पढ़ाता हूं, तो यही कोशिश करता हूं कि प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए सहज से सहज तरीका बताऊं। आपका प्रोडक्ट भी सहज और यूजर फ्रेंडली होना चाहिए। प्रोडक्ट जितना सहज, सरल होगा, उतनी सफलता मिलेगी।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Motivational quotes in hindi

  क्या आपकी भी सोच नकारात्मक हो गयी है?  नकारात्मक से सकारात्मक सोच के लिए जरूरत है सिर्फ अपने नज़रिए को बदलने की। आज हम आपको इस पोस्ट में  Motivational Quotes in Hindi  लेकर आए हैं।  ये   मोटिवेशनल कोट्स  आपके ज़िन्दगी को देखने के नजरिए को बदलने का माद्दा रखते हैं। यही कारण है के सफलता के लिए हमारे रास्ते पर इनका महत्वपूर्ण और दिलचस्प योगदान है। ज़िन्दगी में आप के साथ क्या हो रहा है, ये निर्भर करता है के आप कैसे महसूस करते हो, कैसे सोचते हो, आपकी उम्मीदें क्या है और आपका अपने ऊपर विश्वास कितना है। Motivational Quotes in Hindi अगर आप अपनी सोच की निखारते हो तो आप वास्तव में अपनी ज़िन्दगी को निखारते हो और कभी कभी ये परिवर्तन एक दम पलक झपकते ही हो जाता है। ये ऐसे ही हो सकता है जैसे एक सकारात्मक शब्द किसी को मुस्कराहट दे देता है। दोस्तों, लोग रातों रात सफल नहीं होते। किसी की सफलता, धन, ख़ुशी और उज्जवल भविष्य के पीछे, समय के साथ कड़ी मेहनत और उधम है| इस पूरे ब्रह्माण्ड में आपका केवल एक चीज़ पर पूरा नियंत्रण यही- वह है आपकी सोच, और ये सब Motivational quotes in...

The Best Photography Blogs: The Ultimate List!

  There is so much information online these days to help us better ourselves as photographers and build successful businesses – from videos, podcasts, tips and tutorial sites, eBooks, in-depth guides, workshops, what have you. Sometimes it can be overwhelming. So, we’ve decided to narrow down the resource options for you. But instead of laying out one massive article with all the options, we’re going to break it down and just focus on photography blogs for this one. If you’re more of a listener than a reader, you can check out our list of the  Best Photography Podcasts . Or, if you want to watch some great videos for photographers, just head on over to our  YouTube channel . Here, we’ve scoured the web for today’s leading photography blogs and broken them down by category to make it super easy to scroll through and find the right ones for your specific interests and needs. Just click on any category in the table below to jump down to that section and read about the top bl...