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Motivational best Story in Hindi:

 Motivational Story in Hindi: नमस्कार दोस्तों, हमारी जिन्दगी का दूसरा नाम ही मुसीबत है। हमारे जीवन में मुसीबतें आती ही रहती है। कोई इन मुसीबतों से हार मान लेता है तो कोई इसका डट कर सामना करता है। बहुत से लोग इन मुसीबतों से टूट जाता है और उन्हें मोटिवेशन जरूरत पड़ती है। जिसके कारण वह इन मुसीबतों का बिना किसी डर से सामना करें।

Motivational Story in Hindi
Motivational Story in Hindi

आज हम यहां पर मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स (Motivational Stories in Hindi) शेयर कर रहे हैं। इन Hindi Stories Motivational से आपके जीवन में कुछ नया करने का जोश जागेगा। इन Inspiring Stories Hindi

हमने यहां पर जो Inspirational Stories Hindi शेयर की है। ये Motivation Kahaniya है तो छोटी लेकिन इन छोटी सी कहानियों के पीछे बड़ी सिख छीपी हुई है। जिसे हमें अपने जीवन में जरूर उतारना चाहिए। तो आइये जानते हैं हमारे जीवन को प्रेरणा से भर देने वाली Real Life Inspirational Stories in Hindi

सोच बदल देने वाली मोटिवेशन कहानियां | Short Motivational Story in Hindi for Success

इंतिजार का फल

“सब्र का फल मीठा होता हैं।”

तो दोस्तों आपने इस मुहावरे को जरूर सुना होगा। चलिए आज हम इस कहानी में जानते हैं क्या होता है। इस कहानी में बताया गया है कि तारों को कैसे ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होता है और श्री नारद मुनि उनको कैसे इस मुहावरे का अर्थ समझाते हैं। यह अत्यधिक सुंदर और प्रेरणादायक कहानी है।

जब सूरज अस्त हो रहा होता है तब हल्की-हल्की संध्या से उत्पन्न होती है और चारों तरफ शांत वातारण जैसा एक अंधेरा सा छा जाता है। सभी जीव-जंतु, पशु-पक्षी अपने निवास स्थान को जाने लगते हैं और हल्की हल्की हवा चलने लगती है। हम जब आसमान की ओर देखते हैं तो सूर्य अस्त होता रहता है तभी आसमान में तारे टिमटिमाने लगते है।

कुछ तारे अत्यधिक चमकीले होते हैं परंतु कुछ कम चमकीले होते हैं। अधिक चमकीले वाले तारों पर हमारी नजर जल्दी पहुंचती है परंतु कम चमकीले वाले तारों पर हमारी नजर बहुत कम ही जाती है। इसलिए हम उन पर ध्यान नहीं दे पाते और उनकी सुंदरता फीकी पड़ जाती है।

परंतु उन सब में से एक ऐसा तारा होता है, जो अधिक चमकीला होता है। जिसके आने से पूरा आसमान जगमगा जाता है। वह इतना सुंदर और चमकीला होता है कि उसके जगमगाते ही लोगों के चेहरे पर खुशी आ जाती है, उसे हम स्वाति नक्षत्र के नाम से जानते हैं। अत्यधिक चमकीला और सुंदर होता है, जिसके आने से लोग खुश हो जाते हैं। इसीलिए बाकी के नक्षत्र स्वाति नक्षत्र से इर्ष्या करते हैं और अपनी इस ईर्ष्या की कथा को श्री नारद मुनि को बताते हैं।

नारद मुनि उन सभी तारों को समझाते हुए कहते हैं कि देखो जो भी सब्र करता है, उनकी कीर्ति संसार में होती है और मुझे प्रतीत होता है कि आप लोगों में धैर्य नहीं हैं। इसीलिए आप लोग संध्या काल में होते ही तुरंत जगमगाने लगते हैं। लेकिन स्वाति नक्षत्र अत्यधिक समय के बाद आसमान में निकट आता है तभी उसकी प्रतिस्पर्धा इतनी अधिक होती है।

तभी सभी लोग के चेहरे पर मुस्कान आती। इसीलिए कहा जाता है कि हमें सब्र करना चाहिए क्योंकि उसका फल मीठा होता है। यदि तुम देर में आसमान में टिमटिमाते होते तो तुम्हारा भी महत्व होगा और तुम्हें भी लोग अलग नाम से जानेंगे। नारद मुनि द्वारा समझाई गई बात सभी तारों को समझ में आ गई।

सब्र का फल मीठा होता है, यह बात हम सब जानते हैं और इसे हम लोगों ने महसूस भी किया है। मैं हमेशा अपने कार्य को पूरा करने के बाद उसके परिणाम के इंतजार में उतावला हो जाता हूं या फिर अपने आने वाले कार्य को पूरा करने के लिए उतावला हो जाता हूं, जिससे मेरा आने वाला कार्य बिगड़ जाता है। परंतु मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए, मुझे सब्र करना चाहिए। उस परिणाम का या उस आने वाले कार्य का जिससे मैं उस कार्य को अच्छे से समाप्त करूं और उसका परिणाम भी अच्छा हो।

हम जानते हैं जल्दी में लगाया हुआ निशाना हमेशा अपने गोल से बाहर जाता है। हमें धैर्य पूर्वक उस निशाने को भेजना चाहिए तभी हमें जीवन में सफलता मिलेगी। हमें किसी भी कार्य को धैर्यपूर्वक करना चाहिए तभी सफलता के दरवाजे खुलते हैं।

धैर्य ही ऐसा शस्त्र है, जो विकट परिस्थितियों में मनुष्य के मस्तिष्क का संतुलन बनाए रख सकता है और उसको आगे आने वाली चुनौतियों को से निपटने के लिए नए मार्ग को बतला सकता है। बड़े-बड़े महात्मा और महापुरुषों के द्वारा भी बताया गया है कि हमें भी किसी कार्य में सफलता पानी है तो उसे चिंता मुक्त होकर करना चाहिए और सब्र रखना चाहिए परिणाम का सफलता अवश्य मिलेगी।

टाइम मोटिवेशनल स्टोरी

हमारी जिंदगी छोटे-छोटे समय के भागों में बटीं हुई है, हमारी जिंदगी में कई दिन, कई घंटे, कई मिनट और कई सेकंड होते हैं। परंतु कुछ लोग इसी समय में उस मुकाम को हासिल कर जाते हैं, जिसकी उन्हें चाह होती है वे समय का सदुपयोग करते हैं और अपने जीवन में सफल हो जाते हैं।

एक गांव में एक गरीब आदमी रहता था, उसके घर में उसकी पत्नी और उसकी एक बेटी और एक छोटा बेटा था। उसकी पत्नी दूसरों के घर में काम करके अपने परिवार का खर्च चलाती थी, उसका पति जिसका नाम रामू था। रामू दिन भर नशे में डूबा रहता था और दूसरों के साथ अपना समय बर्बाद किया करता था। कहीं इधर ताश के पत्ते खेलता दिखता था तो कहीं उधर लोगों के दरवाजे बैठकर गपशप मारा करता था। अपने परिवार का ख्याल उसे बिल्कुल नहीं था।

उसके माता-पिता ने उसकी शादी करा कर गलती कर दी थी। बेचारी उसकी पत्नी दिन रात काम कर कर अपने बच्चों का पेट पालती थी। यदि उसकी पत्नी एक भी दिन काम पर न जाए तो उसके बच्चे भूखे रह जाते थे। इसीलिए उसकी पत्नी प्रत्येक दिन दूसरों के वहां काम करती थी।

लेकिन रामू को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसे बस अपना समय बर्बाद करके हंसी मजाक और पत्ते खेलने में बहुत मजा आता था। शाम को शराब पीकर घर आकर जोर-जोर से अपनी पत्नी को चिल्लाता था। कई बार उसने अपनी पत्नी को मारा भी लेकिन अब उसकी पत्नी करें भी तो क्या वह तो अपने बच्चों को छोड़कर नहीं जा सकती थी।

रामू को जो कोई भी समझाता था कि रामू कुछ कार्य करा करो, पैसे कामया करो,अपने परिवार का खर्च तो उठाओ, तुम्हारे दो बच्चे हैं, तुम्हारी पत्नी है, उनकी देखभाल करो, ऐसे अपना समय क्यों बर्बाद करते हो। रामू उसके ऊपर बिगड़ जाता था और कहता तुम्हें इससे लेना देना क्या। मैं कुछ भी करूं यह मेरा जीवन है। मैं तुम्हारे घर में खाता हूं क्या?

इसके कारण कोई भी गांव का सदस्य इससे इस विषय में बात ही नहीं करता था। वह सुबह खाकर निकल जाता था और रात में शराब पीकर आता और अपनी बीवी के ऊपर गुस्सा करता था, ऐसा ही कुछ दिनों तक चलता रहा। कुछ दिनों बाद संसार में एक ऐसी बीमारी ने जन्म लिया, जो मानव जाति के लिए अत्यधिक खतरनाक थी। चारों तरफ उस बीमारी का कहर था।

आप सब जानते होंगे मैं कोरोना वायरस की बात कर रहा हूं। जब सरकार द्वारा लॉकडाउन लगा दिया गया था तब चारों तरफ लोगों का एक दूसरे के वहां आना जाना बंद हो गया था। सारे कार्य, सारी फैक्ट्रियां, सारी गाड़ियां इत्यादि बंद हो गए थे।

अब रामू का परिवार भूखा मरने लगा था। क्योंकि उसकी पत्नी जो रोज कमाने जाती थी, वह अब किसी के घर इसी कारण नहीं जा पाती थी कि कहीं इस बीमारी की वजह मैं न हो जाऊं, लोग उसे अब काम पर बुलाना बंद कर दिए थे। उसके परिवार में अनाज का एक दाना भी नहीं पता था ना उसके घर में कुछ पैसे भी नहीं थे। अब वह क्या करता उसका छोटा बेटा भी बीमार हो गया था।

उसके बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी तब भी रामू को समझ आया कि अपने परिवार को ध्यान देना चाहिए। उसने बच्चे को अस्पताल ले जाने की सोचा, परंतु उसके पास पैसे नहीं थे। उसने गांव वालों से पैसे मांगने गया, गांव वालों ने कहा पहले कहने पर तो हम लोगों को ही जली कटी सुना देते थे। अब इस लॉकडाउन में हमारे पास कहां से पैसा आए, यही कहकर वह लौटा देते थे।

रामू अत्यधिक परेशान था। अब करें तो भी क्या करें। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था। एक पूरा दिन बीत गया, उसके बेटे की तबीयत और भी ज्यादा खराब हो गई। तभी किसी तरह उसकी पत्नी ने जहां काम करती थी, वहां से कुछ पैसे जुटा कर लाई और अब रामू अपने बच्चे को हॉस्पिटल ले जाने की तैयारी की।

रामू अपने बच्चे को लेकर गांव के बाहर एक अस्पताल में पहुंचा। रामू दौड़ता हुआ डॉक्टर के पास गया, उसने कहा मेरे बच्चे को बचा लीजिए। डॉक्टर साहब ने सारे इंस्ट्रूमेंट लगाकर लगा कर चेक किया तब उसका बेटा मर चुका था।

डॉक्टर साहब ने यह बात रामू से कहां यदि तुम अपने बच्चे को 10-15 घंटे पहले ले आते तो मैं तुम्हारे बच्चे को बचा लेता। मुझे बहुत दुखी होकर कहना पड़ रहा है कि मैं तुम्हारे बच्चे को बचाना सका।

रामू यह सुनकर रामू के पैरों तले के नीचे से जमीन खिसक गई वह रोने लगा। उससे कहने लगा यह सब मेरी गलती है मैंने जीवन में कुछ नहीं किया, सिर्फ अपना समय को बर्बाद किया है। यदि आज मेरे पास पैसे हो जाते हैं तो मैं अपने बेटे को हॉस्पिटल जल्दी ला पाता और मेरा बेटा बच जाता। मैंने अपने जीवन में समय को बहुत बर्बाद किया है। लेकिन आज मुझे समय को अहमियत पता चल गयी है।

तो हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए, उसका सदुपयोग करना चाहिए। तभी हमें अपने जीवन मे सफलता मिल सकती है। इस कहानी में अगर रामू पहले से काम करता होता तो उसके पास पैसे होते और अपने बेटे का इलाज करा पाता, जिससे उसका बेटा आज जिंदा होता।मित्रों हमे हमेशा अपने समय का सदप्रयोग करना चहिये।

धन्यवाद।

वृद्ध महिला (Motivational Story in Hindi)

आबूरोड की एक चर्चित दूकान पर लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब दोस्त-यार आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई और हंसी-मजाक में लगे ही थे कि एक लगभग 75-80 वर्ष की बुजुर्ग महिला पैसे मांगते हुए मेरे सामने अपने हाथ फैलाकर खड़ी हो गई।

उनकी कमर झुकी हुई थी, चेहरे की झुर्रियों में भूख तैर रही थी। नेत्र भीतर को धंसे हुए किन्तु सजल थे। उनको देखकर मन मे न जाने क्या आया कि मैने अपनी जेब से सिक्के निकालने के लिए डाला हुआ हाथ वापस खींचते हुए उनसे पूछ लिया।

“दादी जी लस्सी पियेंगे?”

मेरी इस बात पर दादी कम अचंभित हुईं और मेरे मित्र अधिक। क्योंकि अगर मैं उनको पैसे देता तो बस 5 या 10 रुपए ही देता लेकिन लस्सी तो 30 रुपए की एक है। इसलिए लस्सी पिलाने से मेरे गरीब हो जाने की और उस बूढ़ी दादी के द्वारा मुझे ठग कर अमीर हो जाने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई थी।

दादी ने सकुचाते हुए हामी भरी और अपने पास जो मांग कर जमा किए हुए 6-7 रुपए थे, वो अपने कांपते हाथों से मेरी ओर बढ़ाए। मुझे कुछ समझ नही आया तो मैने उनसे पूछा –

“ये किस लिए?”

“इनको मिलाकर मेरी लस्सी के पैसे चुका देना बाबूजी!”

भावुक तो मैं उनको देखकर ही हो गया था…, रही बची कसर उनकी इस बात ने पूरी कर दी।

एकाएक मेरी आंखें छलछला आईं और भरभराए हुए गले से मैने दुकान वाले से एक लस्सी बढ़ाने को कहा… उसने अपने पैसे वापस मुट्ठी मे बंद कर लिए और पास ही जमीन पर बैठ गई।

अब मुझे अपनी लाचारी का अनुभव हुआ क्योंकि मैं वहां पर मौजूद दुकानदार, अपने दोस्तों और कई अन्य ग्राहकों की वजह से उनको कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं कह सका।डर था कि कहीं कोई टोक ना दे… कहीं किसी को एक भीख मांगने वाली बूढ़ी महिला के उनके बराबर में बिठाए जाने पर आपत्ति न हो जाए… लेकिन वो कुर्सी जिस पर मैं बैठा था मुझे काट रही थी…

लस्सी कुल्लड़ों मे भरकर हम सब मित्रों और बूढ़ी दादी के हाथों मे आते ही मैं अपना कुल्लड़ पकड़कर दादी के पास ही जमीन पर बैठ गया क्योंकि ऐसा करने के लिए तो मैं स्वतंत्र था…इससे किसी को आपत्ति नही हो सकती थी।

हां! मेरे दोस्तों ने मुझे एक पल को घूरा… लेकिन वो कुछ कहते उससे पहले ही दुकान के मालिक ने आगे बढ़कर दादी को उठाकर कुर्सी पर बैठा दिया और मेरी ओर मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर कहा-

“ऊपर बैठ जाइए साहब! मेरे यहां ग्राहक तो बहुत आते हैं किन्तु इंसान कभी-कभार ही आता है।”

अब सबके हाथों मे लस्सी के कुल्लड़ और होठों पर सहज मुस्कुराहट थी, बस एक वो दादी ही थीं, जिनकी आंखों मे तृप्ति के आंसू, होंठों पर मलाई के कुछ अंश और दिल में सैकड़ों दुआएं थीं।

न जानें क्यों जब कभी हमें 10-20 रुपए किसी भूखे गरीब को देने या उस पर खर्च करने होते हैं तो वो हमें बहुत ज्यादा लगते हैं। लेकिन सोचिए कि क्या वो चंद रुपए किसी के मन को तृप्त करने से अधिक कीमती हैं?

जब कभी अवसर मिले ऐसे दयापूर्ण और करुणामय काम करते रहें भले ही कोई आपका साथ दे या ना दे!

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आप दूसरों को क्या दे रहे हैं (Motivational Story in Hindi for Students)

एक किसान हमेशा एक बेकरीवाले वाले को एक पौंड मक्खन बेचा करता था। वह किसान हमेशा सुबह के समय उस बेकरी वाले के पास आता और उसे एक पौंड मक्खन दे जाता। एक बार बेकरी वाले ने सोचा कि वह हमेशा उस पर भरोसा करके मक्खन ले लेता है। क्यों न आज मक्खन को तौला जाए?

इससे उसको पता चल सके कि उसे पूरा मक्खन मिल रहा है या नहीं?

जब बेकरीवाले ने मक्खन तौला तो मक्खन का वजन कुछ कम निकला। बेकरीवाले को गुस्सा आया और उसने उस किसान पर केस कर दिया। मामला अदालत तक पहुंच गया। उस किसान को जज के सामने पेश किया गया।

जज ने उस किसान से प्रश्न करना शुरू किया। जज ने पूछा कि वह उस मक्खन को तौलने के लिए बाट का प्रयोग करता है क्या?

किसान ने जवाब दिया “मेरे पास तौलने के लिए बाट तो नहीं है। फिर भी मक्खन तौल लेता हूं”

जज हैरानी से पूछता है “बिना बाट के तुम मक्खन कैसे तौलते हो?

इस जवाब किसान ने दिया कि “वह लम्बे समय से इस बेकरीवाले से एक पौंड ब्रेड का लोफ खरीदता है। हमेशा यह बेकरीवाला उसे देकर जाता है और मैं उतने ही वजन का उसे मक्खन तौल कर दे आता हूं।”

किसान का यह जवाब सुनकर बेकरीवाला हक्का बक्का रह गया।

शिक्षा: इस बेकरीवाले की तरह ही हम भी अपने जीवन में वो ही पाते हैं, जो हम दूसरों के देते हैं। एक बार आप सोचिये आप दूसरों को क्या दे रहे हैं धोखा, दुःख, ईमानदारी, झूठ या फिर वफा।

हर व्यक्ति का महत्व (Motivational Story in Hindi)

एक बार एक विद्यालय में परीक्षा चल रही थी। सभी बच्चे अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके आये थे। कक्षा का सबसे ज्यादा पढ़ने वाला और होशियार लड़का अपने पेपर की तैयारी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त था। उसको सभी प्रश्नों के उत्तर आते थे लेकिन जब उसने अंतिम प्रशन देखा तो वह चिन्तित हो गया।

सबसे अंतिम प्रशन में पूछा गया था कि “विद्यालय में ऐसा कौन व्यक्ति है जो हमेशा सबसे पहले आता है? वह जो भी है, उसका नाम बताइए।”

परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के ध्यान में एक महिला आ रही थी। वही महिला जो सबसे पहले स्कूल में आकर स्कूल की साफ सफाई करती। पतली, सावलें रंग की और लम्बे कद की उस महिला की उम्र करीब 50 वर्ष के आसपास थी।

ये चेहरा वहां परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के आगे घूम रहा था। लेकिन उस महिला का नाम कोई नहीं जानता था। इस सवाल के जवाब के रूप में कुछ बच्चों ने उसका रंग-रूप लिखा तो कुछ ने इस सवाल को ही छोड़ दिया।

परीक्षा समाप्त हुई और सभी बच्चों ने अपने अध्यापक से सवाल किया कि “इस महिला का हमारी पढ़ाई से क्या सम्बन्ध है।”

इस सवाल का अध्यापक जी ने बहुत ही सुन्दर जवाब दिया “ये सवाल हमने इसलिए पूछा था कि आपको यह अहसास हो जाये कि आपके आसपास ऐसे कई लोग हैं जो महत्वपूर्ण कामों में लगे हुए है और आप उन्हें जानते तक नहीं। इसका मतलब आप जागरूक नहीं है।”

शिक्षा: हमारे आसपास की हर चीज, व्यक्ति का विशेष महत्व होता है, वह खास होता है। किसी को भी नजरअंदाज नहीं करें।

अपना हुनर कभी नहीं भूलें (Motivational Story in Hindi)

एक बार एक राजा था। उसके राज्य में सभी अच्छे से चल रहा था। उस राजा ने अपने सैनिकों को बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की थी। तलवारबाजी, खेलकूद और शासन कला ये गुण तो सभी राजाओं में होते ही है लेकिन इस राजा को इसके अलावा एक और भी शौक था। वह था कालीन बुनना।

ये गुण हर किसी राजाओं में नहीं मिलता। राजा के इस काम को बहुत पसंद किया जाता था। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा जाता था कि ये काम एक राजा के लायक का नहीं होता।

एक बार की बात है जब वह राजा अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार के लिए गया। वहां पर अचानक वह अपने सैनिकों से बिछड़ गया। राजा को अकेला देख वहां के डाकुओं ने उस पर हमला बोल दिया और उसे बंदी बना दिया। राजा के पास से कुछ नहीं मिलने के कारण डाकुओं ने राजा को मारने का निर्णय किया।

इस पर राजा को एक युक्ति सूझी “राजा ने डाकुओं से कहा कि यदि तुम मुझे कालीन बुनने का सामान ला दो तो मैं तुम्हे इस राज्य के राजा से सौ सोने के सिक्के दिलवाऊंगा।”

इस पर डाकू मान गये। राजा को कालीन बुनने का सामान दिया गया। राजा ने कालीन बुनना शुरू किया। जब ये कालीन पूरा बुन दिया तो इसे राजभवन में भेजा गया।

वहां पर रानी इस कालीन को देखकर राजा के काम को पहचान गई और उसमें लिखे राजा के सन्देश को पढ़ लिया। राजभवन में आये डाकुओं को पकड़ लिया गया और राजा को जंगल से छुड़वाया गया।

राजा के अपने हाथों के इस हुनर ने राजा की जान बचा ली।

जीवन का प्रशिक्षण (Goal Motivational Story in Hindi)

बाज पक्षी के बचपन की शुरूआत बहुत ही मुश्किल से होती है। बाज पक्षी को बचपन में ही ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वह अपने जीवन में बड़ी-बड़ी मुश्किलों से भी आसानी से सामना कर पाते हैं।

जब किसी भी पक्षी का बच्चा पैदा होता है तो वह कम से कम एक महीने तक तो अपने माता-पिता पर निर्भर रहता ही है। वह अपने खाने-पीने से लेकर जब तक चलना नहीं सीख जाता, तब तक वह अपने माता पिता की नजर में रहता है। लेकिन बाज पक्षियों में ऐसा नहीं होता है।

बाज पक्षी सबसे उल्टा चलते हैं। जब एक बाज मादा अपने बच्चे को जन्म देती है तो उस समय से ही उसके बच्चे की ट्रेनिंग शुरू हो जाती है कि उसे अपने जीवन में कैसे संघर्ष करना है। पैदा होने के कुछ ही दिन बाद बाज के बच्चे का प्रशिक्षण शुरू हो जाता है।

उसके प्रशिक्षण के पहले पड़ाव में मादा बाज अपने बच्चे को चलना सिखाती है। जब बच्चा भूखा होता है तो उसकी मां खाना लाती है। जैसा कि सभी पक्षी करते हैं। लेकिन बाज सीधा अपने बच्चे को खाना नहीं देते। मादा बाज खाना लाकर अपने घोंसले से कुछ दूरी पर खड़ी रह जाती है और तब तक उसे खाना नहीं देती। जब तक वह खुद चलकर उसके पास नहीं आ जाता।

Motivational Story in Hindi
Motivation Kahani in Hindi

जब बाज के बच्चे को तेज भूख लगती है तो वह खाने के लिए अपनी मां के पास जाता है। धीरे-धीरे संघर्ष करके मुश्किल से चलकर अपनी मां के पास पहुंचता है। उस समय उसे कई सारी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। उसे कई चोटें भी लगती है। लेकिन उसकी मां उसे खाना तक तक नहीं देती, जब तक वह खुद उसके पास चलकर नहीं आ जाता। उसकी मां कठोर दिल रखकर सिर्फ उसके पास आने का इंतजार करती है। उसे कोई मदद नहीं करती है।

जब वह चलना सीख जाता है तो दूसरा पड़ाव आता है। यह पड़ाव उसके लिए बहुत ही मुश्किल होता है। इसमें मादा बाज अपने बच्चे को अपने पंजों में पकड़कर उसे खुले आसमान में ले उड़ती है। अपने बच्चे को पंजों में दबाकर वह लगभग 12 से 14 किलोमीटर ऊपर तक ले जाती है और वहां से उसे छोड़ देती है।

तब वह बच्चा नीचे गिरने लगता है और वह उसे देखती है। जब उसका बच्चा 1 या 1.5 किलोमीटर तो बच्चे को डर लगने लगता है कि वह अब मर जायेगा और अपने पंख फड़फड़ाने लगता है। उड़ने की पूरी कोशिश करता है। फिर भी वह उड़ नहीं पाता तो मादा बाज उसे झट से आकाश में ही पंजों में पकड़ लेती है और उसे जमीन पर गिरा देती है।

ऐसा उसकी मां तब तक करती हैं जब तक वह पूरी तरह से उड़ना नहीं सीख जाता। इस प्रकार से एक बाज के बचपन की शुरूआत होती है और उसे इस कठिन प्रशिक्षण को करना पड़ता है। इस कठिन प्रशिक्षण से वह अपने जीवन में बहुत कुछ सीखता है।

इसके कारण ही वह अपने से दुगुना वजनी का भी आसानी से शिकार कर सकता है और उसे आसमान में ले उड़ता हैं। इस प्रशिक्षण से वह मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है।

हमें बाज के इस प्रशिक्षण से जीवन में बड़ी सीख मिलती है। हर व्यक्ति, जानवर या पक्षी अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है। इसका मतलब ये नहीं कि वह उसे अपने पर ही निर्भर रहने दें। उसे जिन्दगी में मुश्किलों का सामना करना भी सिखाएं, जिसके कारण वह अपनी प्रतिभा दिखा सके और अपने एक बेहतर व्यक्तित्व कायम कर सके।

हमेशा अपने बच्चों को ये ही सिखाये कि जिन्दगी का दूसरा नाम ही संघर्ष है। अपने जीवन में यदि कुछ भी हासिल करना है तो संघर्ष करना ही पड़ेगा।

सफ़लता रिश्तों से मिलती हैं (Motivation Story For Student in Hindi)

हमारे जीवन में हमें अपने माता पिता बहुत काम करने से रोकते हैं कि तुम ये नहीं करोगे, तुम वहां पर नहीं जाओगे, तुम्हे ये ही करना पड़ेगा। हमें कई काम करने से रोकते हैं। क्या आपको लगता है कि वो हमें रोककर गलत कर रहे हैं? क्या इनके रोकने से हम सफ़ल नहीं हो रहे है? यदि आप यह सोचते हैं तो आपको यह प्रेरणादायक कहानी (Hindi Inspiration Story) जरूर पढ़नी चाहिए।

एक बार एक व्यक्ति और उसका बेटा दोनों अपने घर की छत पर पतंग उड़ा रहे थे। पतंग बहुत ही ऊंची उड़ रही थी, वो बादलों को छू रही थी। तब उसका बेटा उस व्यक्ति से कहता है कि पापा ये पतंग इस डोर से बंधी हुई है, जिस कारण और ऊंची नहीं जा रही है। इस डोर को तोड़ देना चाहिए।

बेटे की ये बात सुनकर उसका पिता उसके कहने पर वो डोर तोड़ देता है। उसका बेटा बहुत खुश होता है। वह पतंग टूट जाने से बहुत ऊंचाई पर पहुंच जाती है। लेकिन फिर कुछ समय बाद वह कहीं दूर जाकर खुद ही नीचे गिर जाती है।

Motivational Story in Hindi
Motivational Story Hindi

ये देख उस व्यक्ति का बेटा उदास हो जाता है। फिर वह व्यक्ति उसे कहता है कि अक्सर हमें लगता है कि हम जिस ऊंचाइयों पर है उस ऊंचाई से और भी ऊपर जाने से कुछ चीजें हमें रोक रही है। जैसे हमारा अनुशासन, रिश्ते, माता-पिता और परिवार। इसकी वजह से हमें लगता है कि हम अपने जीवन में इस कारण ही सफ़ल नहीं हो रहे हैं। इन सब से हमें आजाद हो जाना चाहिए।

जैसा कि पतंग अपनी डोर से बंधे हुए रहती है और उस डोर की मदद से वह कई ऊंचाइयों को छू लेती है। उसी तरह हम भी अपने परिवार और रिश्तेदारों से बंधे हुए है। यदि हम इस धागे से जुड़े हुए रहेंगे तो कई ऊंचाइयों को छू लेंगे। लेकिन यदि हम इस धागे तो तोड़ देंगे तो ठीक इसी पतंग की तरह कुछ समय तक ही सफ़लता से उड़ पाएंगे। अंत में नीचे गिरकर ही रहेंगे।

ये पतंग जब तक नई ऊंचाइयों को हासिल करेगी तब तक वह अपनी डोर से बंधी हुई है। लेकिन जब पतंग अपनी डोर से मुक्त हो जाती है तो वह कुछ समय में ही नीचे गिर जाती है। उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में रिश्तों की डोर से बंधे हुए रहना चाहिए। जिससे हम अपने जीवन में नई ऊंचाईयां हमेशा हासिल करते रहे।

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